बड़हरिया : खरीफ फसलों के उत्पादन में मानसून का अहम योगदान है । ऐसे में जब प्रखंड में झमाझम मानसूनी बारिश जारी है तो किसान धान रोपाई को लेकर काफी उत्सुक और खुश हैं । मानसून ने भी इस साल समयानुसार दस्तक देकर फसल से जुड़ी किसानों की चिंता मिटा दी । किसानों ने समय से अपने खेतों में बिचड़े गिराए । अब, जब बिचड़े बड़े हो गए हैं और पावस रानी भी मेहरबान है तो किसान बिना देरी किए पूरी तन्मयता से धान रोपाई में लग गए हैं । सुबह होते ही किसान खेतों में पहुंच जा रहे हैं । आज-कल चंवर की शोभा देखते ही बन रही है । पूरा चंवर अन्नदाता कृषकों की महानता का अहसास करा रहा है । कृषक अपनी समस्याओं को ताक पर रखकर देश कल्याण और स्वहित के लिए खेती के कार्य में लग चुके हैं । कृषकों की वंदना में राष्ट्र कवि दिनकर जी ने लिखा है, ' आरती लिए तू किसे ढूंढ़ता है मुरख, मंदिरों, राजप्रासादों में, तहखानों में ? देवता कहीं सड़कों पर गिट्टी तोड़ रहे, देवता मिलेंगे, खेतों में, खलिहानों में । सच में, सामान्य जीवन जीने वाला यह किसान ही वह देवता है जो हमारी क्षुधा को तृप्त करता है । अगर ये किसान परिश्रम कर अन्न नहीं उपजाते तो फिर हम न लिख पाते और न ही आप पढ़ पाते । कृषि प्रधान इस देश के किसान ही मुख्य आधार हैं । सरकार या जनप्रतिनिधियों को इनके समस्यायों का विशेष ध्यान रखना चाहिए । सोचिए, खेती के पेशे से अलग जब कोई एक व्यक्ति बारिश में अपने घरों में आराम फरमा रहा होता है तब ये किसान अपने बच्चों सहित खेतों में काम कर रहे होते हैं । बेटा मेड़ बांध रहा होता है, मां बिचड़े उखारती है, बेटी सिर पर बिचड़ों को लेकर पिता के पास रोपाई के लिए ले जा रही होती है तो पिता एक-एक बिचड़े को इस आस में रोप रहा होता है की फसल होने पर उसके परिवार को दो जून का भोजन मिल सकेगा । सच में क्या किसान बनना आसान है ? छत टपकती है उसके कच्चे मकान की ,फिर भी बारिश हो जाएं तमन्ना है किसान की । समस्त वंदनीय किसानों को न्यूज़ अर्पण 7 का प्रणाम !
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