बड़हरिया (सिवान) : शिवजी भूत नाथ हैं जो सबके मालिक हैं । उक्त बातें बड़हरिया प्रखंड के गिरधरपुर गांव के हनुमान मन्दिर में चल रहे श्रीराम कथा ज्ञान यज्ञ के प्रथम दिन कथा की अमृतवर्षा कराते प्रसिद्ध श्रीराम कथा वाचक डॉ रामाशंकर नाथ दास जी महाराज ने कही । श्री महाराज ने कहा कि भूत का अर्थ पंचतत्व भी होता है । शिवजी पंचतत्व के मालिक हैं । शिव जी के कंठ में विष और मस्तक में अमृत है । मस्तक पर चन्द्रमा धारण किये हुए हैं । चन्द्रमा अमृत है । इस जगत में न सब खराब है, न सब अच्छा है । शुभ-अशुभ, सार-आसार इसका मिश्रण ही जगत है । जगत के मालिक शंकर भगवान हैं, वे विश्वनाथ हैं । उन्होंने कथा सुनाते हुए कहा, " शिवजी और पार्वतीजी का विवाह निश्चित हुआ । नारायण भगवान की बहुत इच्छा थी कि आज शिव जी मेरा श्रृंगार धारण करें । उन्होंने शिवजी से कहा अपना बाघम्बर मुझे दे दें और मेरा पीताम्बर आप पहन लें । शिवजी ने कहा मैं शरीर का श्रृंगार नहीं करता । यह शरीर तो भस्म है । जीव इसको बहुत संभालता है परंतु यह एक दिन भस्म हो ही जाता है । शिवजी श्मशान में विराजते हैं । श्मशान ज्ञान भूमि है, वैराग्य भूमि है । तुम दिन में दो-तीन बार अवश्य स्मरण करो । यह शरीर श्मशान में जायेगा और भस्म बनेगा । विवाह के लिए जाते समय शिवजी ने बाघम्बर ही धारण किया । गले में और हाथों में सर्प धारण किये । शिवजी उस आनन्द स्वरूप में स्थित हैं जहाँ दुःख नहीं, सुख नहीं, अपमान नहीं, यही है शिव जी । '' श्रीमहाराज ने आगे कहा कि शिव पुराण में प्रसंग आता है । विवाह के समय संकल्प के समय तीन पीढ़ियों का नाम लेना पड़ता है । शिव पार्वती के विवाह के समय पुरोहित ने शिवजी से पूछा महाराज आपके पिता का क्या नाम है ? ब्रह्मा जी के ललाट से तामस अंश प्रगट हुआ है । शिवजी तो निर्गुण ब्रह्म हैं । फिर भी नारद जी ने शिवजी के कान में कहा ब्रह्म हमारे पिता हैं, ऐसा कह दो । शिवजी ने उसी प्रकार कह दिया । पुरोहित ने पूछा तुम्हारे दादा का क्या नाम है पुनः नारदजी ने शिवजी के कान में कहा विष्णु भगवान मेरे दादा हैं ऐसा कहो शिवजी ने उसी प्रकार कह दिया । पुरोहित ने तीसरी पीढ़ी का नाम पूछा तुम्हारे परदादा कौन हैं नारदजी कुछ कहें इससे पहले शिवजी ने कहा दिया अपना परदादा मैं ही हूं । कथा वाचन के दौरान कथा श्रवण के लिए श्रोताओं की भीड़ लगी रही । इस अवसर पर विहिप के जिला सह मंत्री परमेश्वर कुशवाहा, डॉ सतेंद्र गिरी, उपेंद्र भारती, युवा कथावाचक सुशील सूर्यवंशी, अरुण कुमार, नेहाल बाबू, सुजीत कुमार डबलू, अमित कुमार सिंह के अलावे काफी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे ।
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