बड़हरिया (सिवान) : भक्तों के बुलाने पर भगवान दौड़े आते हैं, भक्त के बस में भगवान रहते है, उक्त बातें प्रसिद्ध श्रीराम वाचक परम् पूज्य अनंतश्री विभूषित डॉ रामाशंकर नाथ दास जी महाराज नें कही । श्री महाराज प्रखंड के गिरधरपुर गांव में चल रहे श्रीराम कथा ज्ञान यज्ञ के छठवें दिन कही । श्री महाराज ने माता शबरी के प्रेम की आनंदमयी कथा करते हुए कहा कि माता सीता के हरण के बाद भगवान श्रीराम अपने अनुज लक्ष्मण के साथ वन वन भटकते-भटकते कौंध राक्षस के समीप गए । जहां उक्त राक्षस ने माता शबरी के आश्रम के बारे में बताया व कहा कि वहां जाने पर मतंग ऋषि के आश्रम में माता शबरी से आपकी मुलाकात होगी । जो वर्षों से आपकी प्रतीक्षा कर रही है । वहां जाने पर माता सीता के बारे में भी आपको जानकारी मिल जाएगी । भगवान श्रीराम अपने भाई लक्ष्मण जी के साथ माता शबरी से मुलाकात के लिए निकल पड़े । श्रीमहाराज ने आगे कहा कि माता शबरी रोज भगवान की सेवा के लिए जंगल से मीठे-मीठे बेर लाती थी, रास्ते में पुष्प बिछाती थी । आज भी शबरी से वन से बेर लाई व रास्ते में पुष्प बिछा कर भगवान की प्रतीक्षा कर रही थी तब तक भगवान अपने भाई लखन जी के साथ उसके आश्रम में पधार दिए, भगवान को अपने सामने देख कर शबरी के मुख मण्डल से आवाज निकलना बंद हो गया, उसकी केवल आंखे खुली थी, नेत्रों से अश्रु के धार निकलने लगे, शबरी के आंखों से इतना अश्रु निकला कि भगवान के पांव धोने के लिए जल की जरूरत नहीं पड़ी, शबरी मईया के आंखों के आंसू से ही भगवान के पांव धूल गए । तब मईया सबरी ने टोकरी में रखे बेर लाकर भगवान को दिया, जिसको भगवान बड़े ही प्रेम से खाने लगे परन्तु लक्ष्मण जी ने बैर को जूठा जानकर फेंक दिया, जो संजीवनी बन गया । वही संजीवनी लक्षमण को शक्ति लगने के बाद जीवन दान दिया । शबरी से भगवान के इस मिलन के अवसर पर दिव्य झांकी निकाली गई । जिसको देखकर श्रद्धालु भावविह्वल हो गए व सबकी आंखें नम हो गयी । इस अवसर पर युवा कथा वाचक सुशील विनायक सूर्यवंशी, उपेंद्र भारती, डॉ सतेंद्र गिरी, परमेश्वर प्रसाद, प्रभु गिरी, सुजीत कुमार डबलू, अमित कुमार सिंह, अभय भारती आदि के अलावे काफी संख्या में श्रद्धालु उस्थित थे ।
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